दु:ख लड़ने के लिए
एक बहुत बड़ा हथियार है
जो पहले
पानी की भाषा में
आदमी की आँखों में आता है
और फिर
हाथों की धरोहर बन जाता है
पानी के पत्थर बनने की प्रक्रिया
आदमी के इतिहास से पहले का इतिहास है
किन्तु अब
यह प्रक्रिया
आदमी के इतनी आसपास है
कि दु:खी क्षणों में
वह
पानी से एक ऎसा हथियार बना सकता है
जो दु:खों के मूल स्रोतों को
एक सीमा तक मिटा सकता है ।
-कुमार विकल